हिंदी जन-जन की भाषा। इसके संवर्द्धन और विकास में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का महत्वपूर्ण योगदान रहा...उपमुख्यमंत्री
हिंदी जन-जन की भाषा। इसके संवर्द्धन और विकास में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का महत्वपूर्ण योगदान रहा...उपमुख्यमंत्री
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 103 वें स्थापना दिवस के अवसर पर उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा... आजादी की लड़ाई में हिंदी के साहित्यकारों ने बड़ी भूमिका निभायी।
शौर्य भारत :- बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 103 वें स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि आजादी की लड़ाई में हिंदी साहित्य एवं साहित्यकारों की बड़ी भूमिका रही। स्वतंत्रता आंदोलन को प्रखरता प्रदान करने की दिशा में रामधारी सिंह 'दिनकर' , महादेवी वर्मा सहित कई बड़े लेखक और कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेंद्र प्रसाद, जगन्नाथ प्रसाद, लक्ष्मी नारायण, मथुरा प्रसाद दीक्षित, बाबू वैद्यनाथ प्रसाद सिंह, पंडित दर्शन केसरी पांडे जैसी कई बड़ी विभूतियों ने इस संस्थान के साथ जुड़कर इसे पुष्पित एवं पल्लवित किया। उन्होंने कहा कि हिंदी जन-जन की भाषा है। इसके संवर्द्धन और विकास में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन ने शुरू से ही काफी अहम भूमिका का निर्वहन किया है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी भाषा को जानना, समझना और बोलना अच्छी बात है, परंतु हमें अंग्रेजियत से बाहर आना होगा और अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति अटूट प्रेम और निष्ठा रखते हुए सभी लोगों को इसके प्रयोग को दैनिक जीवन शैली में उतारना होगा। उन्होंने इस अवसर पर भारतेंदु हरिश्चंद्र की कुछ पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि "अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन। पै निज भाषा ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।।" उन्होंने कहा कि सरकार और समाज के सामूहिक प्रयास से ही जन-जन तक हिंदी भाषा की व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने में हम सफल होंगे। उक्त अवसर पर पूनम आनंद द्वारा रचित पुस्तक "कॉफी टाइम्स 151 लघु कथाएं" का विमोचन उपस्थित गणमान्य अतिथियों द्वारा किया गया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ० सीपी ठाकुर, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ० अनिल सुलभ, पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण) श्री आलोक राज, विश्वविद्यालय आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री शशि शेखर तिवारी, बी.एन. मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के पूर्व कुलपति अमरनाथ सिन्हा, प्रसिद्ध साहित्यकार श्री शिववंश पांडे, श्री भूपेंद्र कलशी, श्री संजीव मिश्रा, डॉ० शंकर प्रसाद सहित अन्य साहित्यकार एवं काफी संख्या में हिंदी सेवी, हिंदी साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
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