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ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 आज सुबह नई दिल्ली में पीरामल ग्रुप के चेयरमैन और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन श्री अजय पीरामल द्वारा जारी की गई

ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 आज सुबह नई दिल्ली में पीरामल ग्रुप के चेयरमैन और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन श्री अजय पीरामल द्वारा जारी की गई


 

नई दिल्ली, 18 जनवरी 2023:ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 आज सुबह नई दिल्ली में पीरामल ग्रुप के चेयरमैन और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन श्री अजय पीरामल द्वारा जारी की गई। यह सत्रहवीं असर रिपोर्ट है। भाषण देते हुए श्री पीरामल ने कहा मैं प्रथम को असर 2022 के प्रकाशन की बधाई देता हूँ। यह भारत में सबसे बड़ा नागरिकों द्वारा किया जाने वाला ग्रामीण सर्वेक्षण है, जो प्राथमिक शिक्षा की यथापूर्व स्थिति को बयान करता है।

प्राथमिक शिक्षा बच्चों के प्रारंभिक वर्षो में स्कूली शिक्षा को आकार देने का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह रिपोर्ट स्कूलों में बच्चों के बढ़ते नामांकन के बारे में बताती है, जो सरकारी कार्यक्रमों जैसे निपुण भारत मिशन के प्रदर्शन को आँकने के लिए एक अच्छा संकेतक हो सकता है। एक और सकारात्मक बात है स्कूलों में छात्राओं की संख्या में वृद्धि। यह सरकारी कार्यक्रमों जैसे कि सुकन्या समृद्धि योजना और बेटी बचाओ, बेटी पढाओ की सहक्रिया और प्रभावशीलता को दर्शाता है।

हालाँकि सरकार की मॉनिटरिंग, फीडबैक और क्षमता निर्माण की प्रक्रियाएँ बनी हुई है, देश में बच्चों की शिक्षा के समग्र मानकों में सुधार कर, मूलभूत साक्षरता को बढ़ाने के लिए और भी अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।


यह रिपोर्ट हमें दिशा दिखाती है और यह भी एहसास दिलाती है कि शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए सरकार, कॉरपोरेट्स, नागरिक समाज और गैर सरकारी संस्था को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देने के लिए शिक्षा के क्षेत्र के सभी हितधारकों के द्वारा एक ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है।"

असर 2022 चार वर्ष के अंतराल के बाद 616 ग्रामीण जिलों में पहुँचकर देश भर में गाँवों में लौटा। इस वर्ष का डाटा विशेष रूप से मूल्यवान होगा क्योंकि यह COVID-19 महामारी के कारण लंबे समय के बाद स्कूल खुलने पर बच्चों की पढ़ने की स्थिति के बारे में बताएगा। हमेशा की तरह, इस घरों में किए जाने वाले सर्वेक्षण में 3-16 आयु वर्ग के बच्चों की नामांकन की स्थिति दर्ज़ की गई और 5-16 आयु वर्ग के बच्चों की बुनियादी पढ़ने और गणित में जाँच की गई। इस वर्ष बच्चों की अंग्रेजी के कौशल का भी परीक्षण किया गया।

2015 को छोड़कर, 2005 से हर साल एक राष्ट्रीय असर सर्वेक्षण किया गया है। 2022 में किया गया यह 'बेसिक' असर प्राथमिक स्कूल के आयु वर्ग वाले बच्चों की बुनियादी क्षमताओं पर केंद्रित है, और यह 2005 से 2014 तक हर साल, और फिर 2016 और 2018 में भी किया गया था। क्योंकि सर्वेक्षण के प्रपत्र, सैम्पलिंग का तरीका और सर्वेक्षण मेथड समय के साथ एक समान रहे हैं, इसलिए असर 2022 के डाटा पिछले वर्षों के असर डेटा के साथ तुलनीय है। 2018 और 2022 के बीच हुए "लर्निंग लॉस" का अनुमान राज्यों और जिलों के लिए महत्वपूर्ण मालुम पड़ सकता है क्योंकि वे इस डाटा की मदद से "लर्निंग रिकवरी" और "catch-up" के लिए इंटरवेंशन की योजना बना सकते हैं।

असर 2022 (ग्रामीण) के मुख्य निष्कर्ष

असर 2022 भारत के 616 जिलों के कुल 19,060 गाँवों तक पहुँचा। 3,74,544 घरों और 3-16 आयु वर्ग के 6,99,597 बच्चों का सर्वेक्षण किया गया।

   बिहार - असर 2022 बिहार में 38 जिलों के 1140 गांवों में 52,959 बच्चों तक पहुँचा I

नांमाकन और उपस्थिति

● कुल नामांकन (आयु वर्ग 6-14): 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए नामांकन दर पिछले 15 वर्षों से 95% से ऊपर रहा है। COVID महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने के पश्च्यात नामांकन के आँकड़ों में वृद्धि हुई है – यह आँकड़ा 2018 में 97.2% से बढ़कर 2022 में 98.4% हो गया है। इस आयु वर्ग के अनामांकित बच्चों का प्रतिशत घटकर 1.6% हो गया है। 

बिहार में 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों का नामांकन 98% हैं I सरकारी स्कूलों में नामांकन का यह आंकड़ा वर्ष 2018 में 78.1% से बढ़कर वर्ष 2022 में 82.2% हो गया है।

● सरकारी विद्यालय में नामांकन: 2006 से 2014 तक सरकारी विद्यालय में नामांकित बच्चों (आयु 6 से 14) के अनुपात में लगातार गिरावट देखी गई है। 2014 में यह आँकड़ा 64.9% था और अगले चार वर्षों में इसमें ज़्यादा बदलाव नहीं हुआ। हालाँकि, सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों (6 से 14 वर्ष) का अनुपात 2018 में 65.6% से बढ़कर 2022 में 72.9% हो गया है। सरकारी विद्यालय के नामांकन में वृद्धि देश के लगभग हर राज्य में दिखाई दे रही है।

● अनामांकित लड़कियों का अनुपात: 2006 में संपूर्ण भारत में 11-14 आयु वर्ग की 10.3% लड़कियाँ अनामांकित थी। यह आँकड़ा अगले दशक में गिरकर 2018 में 4.1% हो गया। यह अनुपात लगातार गिर रहा है। 2022 में, भारत में 11-14 वर्ष की 2% लड़कियाँ अनामांकित हैं। यह आँकड़ा केवल उत्तर प्रदेश में लगभग 4% है और अन्य सभी राज्यों में इससे कम है। 

वर्ष 2006 में बिहार में 11-14 वर्ष की 17.6% लड़कियां अनामांकित थीं। यह आंकड़ा गिरकर वर्ष 2018 में 4.2% हो गया। यह अनुपात लगातार गिर रहा है। वर्ष 2022 में, बिहार में 11-14 वर्ष की 1.8% लड़कियां अनामांकित हैं।

• 15-16 वर्ष की अनामांकित बड़ी लड़कियों के अनुपात में गिरावट और भी तीव्र है। 2008 में, राष्ट्रीय स्तर पर, 15-16 आयु वर्ग की 20% से अधिक लड़कियाँ अनामांकित थी। दस साल बाद 2018 में यह आंकड़ा घटकर 13.5% रह गया था। 15-16 साल की अनामांकित लड़कियों के अनुपात में गिरावट जारी है, और 2022 में यह 7.9% रह गया है। केवल 3 राज्यों में इस उम्र की अनामांकित लड़कियों का अनुपात 10% से अधिक है: मध्य प्रदेश (17%), उत्तर प्रदेश (15%), और छत्तीसगढ़ (11.2%)।


बिहार में ,15-16 वर्ष की बड़ी लड़कियों में अनामांकित लड़कियों के अनुपात में कमी और भी तेजी से आ रही है। 2008 में, 15-16 आयु वर्ग की 17.1 से अधिक लड़कियाँ अनामांकित थीं। वर्ष 2018 में यह आंकड़ा घटकर 9.8% हो गया था। 15-16 साल की अनामांकित लड़कियों के अनुपात में गिरावट जारी है, जो 2022 में 6.7% है।









● पूर्व-प्राथमिक आयु वर्ग में नामांकन: 2022 में ग्रामीण भारत में, 3 वर्ष के 78.3% बच्चे प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (Early Childhood Education) प्रदान करने वाले किसी न किसी संस्था में नामांकित हैं, जोकि 2018 के आँकड़ों की तुलना में 7.1 प्रतिशत पॉइंट ज़्यादा है। 3-5 वर्ष के छोटे बच्चों के नामांकन में काफ़ी बदलाव आया है – बच्चे पूर्व-प्राथमिक विद्यालय और विद्यालय प्रावधान से ICDS (आंगनवाड़ी) सिस्टम में चले गए हैं। 2018 में 57.1% से बढ़कर 2022 में 3-वर्ष के 66.8% बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित हैं। 4 वर्ष के बच्चों में, आंगनवाड़ी नामांकन 50.5% (2018) से बढ़कर 61.2% (2022) हो गया है।

बिहार में पूर्व-प्राथमिक आयु समूह में नामांकन: 2022 में ग्रामीण बिहार में, 3 वर्ष के 77.1% बच्चे प्रारंभिक बचपन की शिक्षा (Early Childhood Education) के किसी न किसी रूप में नामांकित हैं, वर्ष 2018 के आंकड़ों में 10.3 प्रतिशत अंकों की वृद्धि है। 3-5 वर्ष के छोटे बच्चों के नामांकन में काफी बदलाव आया है – बच्चे पूर्व-प्राथमिक विद्यालय और विद्यालय प्रावधान के अन्य रूपों से ICDS (आंगनवाड़ी) प्रणाली में चले गए हैं।वर्ष 2018 में 56.6% की तुलना में 2022 में 3 वर्ष के 66.9% बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित हैं। 4 वर्ष के बच्चों में, आंगनवाड़ी नामांकन 55.8% (वर्ष 2018) से बढ़कर 67.1% (वर्ष 2022) हो गया है।

शुल्क देकर ली गई ट्यूशन

● पिछले दशक में, ग्रामीण भारत में शुल्क देखर निजी ट्यूशन लेने वाले कक्षा I-VIII के बच्चों के अनुपात में लगातार छोटी-छोटी वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2018 और 2022 के बीच यह अनुपात दोनों सरकारी और निजी विद्यालयों के बच्चों के लिए और बढ़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर, कक्षा I-VIII में शुल्क देकर निजी ट्यूशन लेने वाले बच्चों का अनुपात वर्ष 2018 में 26.4% से बढ़कर वर्ष 2022 में 30.5% हो गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इस अनुपात में 2018 के बाद 8 प्रतिशत पॉइंट या उससे अधिक की वृद्धि हुई है।

बिहार में कक्षा I-VIII में शुल्क देकर निजी ट्यूशन लेने वाले बच्चों का अनुपात में वृद्धि देखी गई है। राज्य स्तर पर, कक्षा I-VIII में सशुल्क निजी ट्यूशन लेने वाले बच्चों का अनुपात वर्ष 2018 में 62.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 71.7% हो गया है।

अधिगम स्तर: पढ़ने और गणित में बुनियादी क्षमताएँ

• पढ़ना: असर पढ़ने की जाँच यह आकलन करती है कि क्या बच्चे अक्षर, शब्द, कक्षा I स्तर का अनुच्छेद, या कक्षा II स्तर की “कहानी” पढ़ सकते हैं या नहीं। यह जाँच चयनित घरों में 5 से 16 आयु वर्ग के सभी बच्चों के साथ एक-एक करके की जाती है। प्रत्येक बच्चे को उसके उच्चतम स्तर पर चिह्नित किया जाता है जो वह आसानी से कर सकता है।

राष्ट्रीय स्तर पर, बच्चों की बुनियादी पढ़ने की क्षमता 2012 के पूर्व के स्तर तक गिर गई है, और बीच में धीमी गति से हो रहा सुधार उलट गया है। अधिकांश राज्यों में दोनों सरकारी और निजी विद्यालयों, और लड़कों और लड़कियों में गिरावट दिख रही है।




● कक्षा III: सरकारी या निजी विद्यालय के कक्षा III के बच्चों का अनुपात जो कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, 2018 में 27.3% से गिरकर 2022 में 20.5% हो गया है। यह गिरावट लगभग हर राज्य और सरकारी और निजी विद्यालय दोनों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए दिख रही है। 2018 से 10 प्रतिशत पॉइंट से अधिक की गिरावट उन राज्यों में दिख रही है जिनका 2018 में पढ़ने का स्तर उच्च था, जैसे कि केरल (2018 में 52.1% से 2022 में 38.7%), हिमाचल प्रदेश (47.7% से 28.4%), और हरियाणा (46.4% से 31.5%)। बड़ी गिरावट आंध्र प्रदेश (22.6% से 10.3%) और तेलंगाना (18.1% से 5.2%) में भी दिखाई दे रही है।

 बिहार में सरकारी या निजी विद्यालय के कक्षा III के बच्चों का अनुपात जो कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं,वर्ष 2018 में 23.5% से गिरकर वर्ष 2022 में 19.8% हो गया है। यह गिरावट हर राज्य में और सरकारी और निजी दोनों के बच्चों के लिए दिखाई दे रही है। वर्ष 2018 से 10% अंक से अधिक की गिरावट उन राज्यों में दिख रही है जिनका वर्ष 2018 में पढ़ने का स्तर उच्च था, जैसे कि केरल (वर्ष 2018 में 52.1% से वर्ष 2022 में 38.7%), हिमाचल प्रदेश (47.7% से 28.4%), और हरियाणा (46.4% से 31.5%)। विशाल गिरावट आंध्र प्रदेश (22.6% से 10.3%) और तेलंगाना (18.1% से 5.2%) में भी दिखाई दे रही है। बिहार में वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2022 में 3.7% गिरावट दिखाई दे रही है |

● कक्षा V: राष्ट्रीय स्तर पर, सरकारी या निजी स्कूलों के कक्षा V के ऐसे बच्चों का अनुपात जो कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं 2018 में 50.5% से गिरकर 2022 में 42.8% हो गया है। बिहार, ओडिशा, मणिपुर और झारखंड में यह आँकड़ा या तो स्थिर रहा है या इसमें मामूली सुधार हुआ हैं। 15 प्रतिशत पॉइंट या उससे अधिक की गिरावट आंध्र प्रदेश (2018 में 59.7% से 2022 में 36.3%), गुजरात (53.8% से 34.2%), और हिमाचल प्रदेश (76.9% से 61.3%) में दिख रही है। 10 प्रतिशत पॉइंट से अधिक की गिरावट उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में हुई हैं।

 बिहार में सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा V में नामांकित बच्चों का अनुपात जो कक्षा II स्तर का पाठ कर सकते हैं वर्ष 2018 में 41.3% से बढ़कर वर्ष 2022 में 42.4% हो गया है। जबकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा V में नामांकित बच्चे जो कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं 2018 में 35.1% से बढ़कर 2022 में 37.1 % हो गया है। निजी स्कूलों में कक्षा V में नामांकित बच्चों का अनुपात जो कक्षा II स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं 2018 में 78.1% से गिरकर 2022 में 73.4% हो गया है।


● कक्षा VIII: हालाँकि कक्षा VIII के छात्रों में भी बुनियादी पढ़ने की क्षमता में गिरावट हुई है, यह कक्षा III और कक्षा V में दिख रही गिरावट की तुलना में कम है। राष्ट्रीय स्तर पर, 2022 में सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा VIII में नामांकित 69.6% बच्चे यह पाठ पढ़ सकते हैं, जोकि 2018 में 73% थे।

बिहार में कक्षा VIII के छात्रों में भी बुनियादी पढ़ने की क्षमता स्थिर हैं , जो वर्ष 2018 में 71.2% था और वर्ष 2022 में यह आकड़ा 71.2% हैं I








• गणित: असर गणित की जाँच यह आकलन करती है कि क्या बच्चे 1से 9 तक अंक पहचान, 11से 99 तक संख्या पहचान, 2-अंक वाले घटाव (हासिल वाले), या भाग के सवाल (3-अंक का 1-अंक से) कर सकते है या नहीं। यह कार्य चयनित घरों में 5 से 16 आयु वर्ग के सभी बच्चों के साथ एक-एक करके की जाती है और प्रत्येक बच्चे को उसके उच्चतम स्तर पर चिह्नित किया जाता है जो वह आसानी से कर सकता है।

राष्ट्रीय स्तर पर, बच्चों के बुनियादी गणित स्तर में अधिकांश कक्षाओं के लिए 2018 के स्तर की तुलना में गिरावट आई है। लेकिन बुनियादी पढ़ने की तुलना में यह गिरावट कम तीव्र और ज़्यादा विविध है।

● कक्षा III: कक्षा III के उन बच्चों का अनुपात जो कम से कम घटाव कर सकते हैं, भारत में 2018 में 28.2% से गिरकर 2022 में 25.9% हो गया है। हालाँकि जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में यह आँकड़ा लगभग स्थिर रहा है या थोडा सुधरा है, तमिलनाडु (2018 में 25.9% से 2022 में 11.2%), मिज़ोरम (58.8% से 42%), और हरियाणा (53.9% से 41.8%) में 10 प्रतिशत पॉइंट से अधिक भारी गिरावट हुई है।

बिहार में सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा III में नामांकित बच्चों का अनुपात जो कम से कम घटाव कर सकते है उनका आकड़ा स्थिर हैं ,वर्ष 2018 में 28.5% था ,वर्ष 2022 में 28.7% हैं I जबकि सरकारी स्कूलों में कक्षा III में नामांकित बच्चों का अनुपात में 3.2% की बढ़ोतरी हुई हैं , वर्ष 2018 में 18% से 2022 में 21.2% हो गया हैं I


● कक्षा V: भाग कर पाने वाले कक्षा V के बच्चों का अनुपात भारत में थोड़ा कम हुआ है – यह 2018 में 27.9% से 2022 में 25.6% हो गया है। हालाँकि बिहार, झारखंड, मेघालय और सिक्किम में 2018 के स्तर की तुलना में मामूली सुधार दिखा, अन्य राज्य जैसे मिज़ोरम (40.2% से 2018 से 2022 में 20.9%), हिमाचल प्रदेश (56.6% से 42.6%), और पंजाब (52.9% से 41.1%) में 10 प्रतिशत पॉइंट से अधिक की भारी गिरावट हुई है।

बिहार में सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा V में नामांकित बच्चों का अनुपात जो भाग का सवाल कर पाने मे सक्षम है उनके आकड़ो मे बढ़ोतरी हुई हैं ,वर्ष 2018 में 29 .9% था और वर्ष 2022 में 35.4% हैं I जबकि सरकारी स्कूलों में कक्षा V में नामांकित बच्चों का अनुपात में 5.9% की बढ़ोतरी हुई हैं , वर्ष 2018 में 24.1% से 2022 में 30% हो गया हैं I


● कक्षा VIII: बुनियादी गणित में कक्षा VIII का प्रदर्शन थोडा अलग है। राष्ट्रीय स्तर पर, भाग का सवाल हल कर पाने वाले बच्चों का अनुपात 2018 में 44.1% से थोडा सा बढ़कर 2022 में 44.7% हो गया है। यह वृद्धि लड़कियों और सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों के बेहतर अधिगम स्तरों के कारण है, जबकि लड़कों और निजी स्कूलों में नामांकित बच्चों के 2018 के स्तर में गिरावट आई है। कक्षा VIII में सरकारी स्कूलों के बच्चों ने उत्तर प्रदेश (32% से 41.8%) और छत्तीसगढ़ (28% से 38.6%) में 2018 की तुलना में 2022 में उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन किया। लेकिन पंजाब में यह आंकड़ा काफ़ी गिर गया है (58.4% से 44.5%)।

बिहार में सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा VIII में नामांकित बच्चों का अनुपात जो भाग का सवाल कर पाने मे सक्षम है उनके आकड़ो मे बढ़ोतरी हुई हैं,वर्ष 2018 में 57% था और वर्ष 2022 में 59.4% हैं I जबकि सरकारी स्कूलों में कक्षा VIII में नामांकित बच्चों का अनुपात में 2.9% की बढ़ोतरी हुई हैं , वर्ष 2018 में 55.1% से वर्ष 2022 में 58 % हो गया हैं I


● अंग्रेजी: असर अंग्रेजी की जाँच यह आकलन करती है कि क्या बच्चे अंग्रेजी में बड़े अक्षर, छोटे अक्षर, सरल 3-अक्षरों वाले शब्द, और छोटे आसान वाक्य पढ़ सकते हैं या नहीं। यह कार्य चयनित घरों में 5 से 16 आयु वर्ग के सभी बच्चों के साथ एक-एक करके की जाती है और प्रत्येक बच्चे को उसके उच्चतम स्तर पर चिह्नित किया जाता है जो वह आसानी से पढ़ सकता है। शब्द या वाक्य स्तर के बच्चों की अंग्रेजी की समझ का आकलन करने के लिए उनसे अर्थ भी पूछा जाता है।

● असर ने आखिरी बार 2016 में बच्चों की अंग्रेजी की क्षमता का आकलन किया था। राष्ट्रीय स्तर पर, 2022 में बच्चों की सरल अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता कक्षा V के बच्चों में 2016 के समान है (2016 में 24.7% से 2022 में 24.5%), और कक्षा VIII के बच्चों में थोड़ा सुधार हुआ हैं (2016 में 45.3% से 2022 में 46.7%).

असर ने आखिरी बार 2016 में बच्चों की अंग्रेजी क्षमता का आकलन किया था। बिहार में बच्चों की अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता कक्षा V में 4.3% की बढ़ोतरी हुई हैं I (2016 में 18.1% से 2022 में 22.4%), और कक्षा VIII में अंग्रेजी पढ़ने की क्षमता स्थिर हैं I (2016 में 43.8% से 2022 में 43.8%).


● 2022 में कक्षा III के उन बच्चों में से जो अंग्रेजी शब्द पढ़ सकते हैं लेकिन वाक्य नहीं, लगभग आधे बच्चे पढ़े गए शब्दों का अर्थ बता सकते हैं (55.3%)। जो बच्चे वाक्य पढ़ सकते हैं, उनमें अंग्रेजी समझने की क्षमता बड़ी कक्षाओं में बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, कक्षा III के उन बच्चों में से जो वाक्य पढ़ सकते हैं, 55.3% वाक्यों के अर्थ बताने में सक्षम थे, जबकि कक्षा VIII के लिए यह आँकड़ा 68.5% हैं।

बिहार में कक्षा III के 11.4% बच्चे साधारण वाक्यों को पढ़ने में सक्षम हैं और 54.5% हैं| वाक्यों के अर्थ बताने में सक्षम थे |

विद्यालय अवलोकन

असर सर्वेक्षण में प्रत्येक चयनित गाँव में प्राथमिक कक्षाओं वाले एक सरकारी विद्यालय का अवलोकन किया जाता है। यदि गाँव में कोई सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा I-VII/VIII) है तो उसे प्राथमिकता दी जाती है। 2022 में असर सर्वेक्षकों ने प्राथमिक कक्षाओं वाले 17,002 सरकारी विद्यालयों का अवलोकन किया जिनमें से 9,577 प्राथमिक विद्यालय थे और 7,425 उच्च प्राथमिक विद्यालय थे। विद्यालयों का अवलोकन एक दिन के विजिट के आधार पर किया गया था .

बिहार में 2022 में असर सर्वेक्षकों ने प्राथमिक कक्षाओं वाले 1101था सरकारी विद्यालयों का अवलोकन किया था जिनमे 243 प्राथमिक विद्यालय थे और 858 उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल थे। 

● कम नामांकन वाले विद्यालय और मिश्रित कक्षाएँ (मल्टीग्रेड क्लासरूम): 60 से कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का अनुपात पिछले दशक में हर साल बढ़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर, यह आँकड़ा 2010 में 17.3% था, 2014 में 24%, 2018 में 29.4%, और 2022 में 29.9% हो गया है। 2022 में हिमाचल प्रदेश (81.4%) और उत्तराखंड (74%) में 60 से कम छात्रों वाले सरकारी स्कूल पुरे राष्ट्र में सबसे ज़्यादा हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश (2018 में 62.2% से 2022 में 57.7%) और केरल (2018 में 17% से 2022 में 13.4%) जैसे कुछ राज्यों में इन स्कूलों की संख्या कम हुई हैं।


बिहार में वर्ष 2022 में 60 या उससे से कम छात्रों वाले प्राथमिक सरकारी स्कूलों की संख्या 5.8% हैं I

● कक्षा II और कक्षा IV के मिश्रित क्लासरूम का अनुपात भी पिछले एक दशक में लगातार वृद्धि दर्शाता है। उदाहरण के लिए, 2010 में 54.8% विद्यालयों में, 2014 में 61.6%, 2018 में 62.4%, और 2022 में 65.5% विद्यालयों में कक्षा II के बच्चे एक या अधिक अन्य कक्षाओं के साथ बैठे थे। 2018 की तुलना में बढ़ोतरी गुजरात (2018 में 50.9% से 2022 में 69.3%) और छत्तीसगढ़ (2018 में 71.3% से 2022 में 79.5) में दिख रही है। 

● शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति: राज्य स्तर पर छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया है। औसत शिक्षक उपस्थिति 2018 में 85.4% से थोड़ी बढ़कर 2022 में 87.1% हो गई है। छात्रों की औसत उपस्थिति पिछले कई वर्षों से लगभग 72% के आस-पास रही है।

बिहार के प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की औसत उपस्थिति थोड़ी बढ़ोतरी हुई है, वर्ष 2018 में 56.5% से 2022 में 59.3% हो गई है। शिक्षक की औसत उपस्थिति बढ़कर वर्ष 2018 में 68.5% से 2022 में 80.9% हो गई है।

विद्यालय में सुविधाएँ

● राष्ट्रीय स्तर पर, शिक्षा के अधिकार अधिनियम से संबंधित सभी संकेतकों में 2018 की तुलना में छोटे सुधार दिखाई दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, प्रयोग करने योग्य लड़कियों के शौचालय वाले स्कूलों का अनुपात 2018 में 66.4% से बढ़कर 2022 में 68.4% हो गया है। उपलब्ध पेयजल वाले स्कूलों का अनुपात 74.8% से बढ़कर 76% हो गया है, और छात्रों द्वारा उपयोग की जा रही पुस्तकों (पाठ्यपुस्तकों के अलावा) का अनुपात 36.9% से बढ़कर 44% हो गया है।

बिहार में , प्रयोग करने योग्य लड़कियों के शौचालय वाले स्कूलों का अनुपात में कोई बदलाब नहीं आया हैं 

(वर्ष 2018में 63% और वर्ष 2022में 63.8%)

● हालांकि, राष्ट्रीय औसत आँकड़े राज्यों में भिन्नताओं को छुपा देते हैं। उदाहरण के लिए, पीने के पानी की उपलब्धता वाले स्कूलों का अनुपात आंध्र प्रदेश में 2018 में 58.1% से बढ़कर 65.6%, और पंजाब में 2018 में 82.7% से बढ़कर 92.7% हो गया है। इसी अवधि में, पीने के पानी की उपलब्धता गुजरात में 88% से घटकर 71.8% हो गई है, और कर्नाटक में 76.8% से 67.8% हो गई है।

बिहार में पीने के पानी की उपलब्धता वाले स्कूलों का अनुपात मे गिरावट हुई है .(वर्ष 2018 में 89.7% और वर्ष 2022 में 87.3%).

● अधिकांश खेल-संबंधी संकेतक भी 2018 में देखे गए स्तरों के करीब बने हुए हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में, 68.9% स्कूलों में खेल का मैदान है, जो 2018 में 66.5% से थोड़ा बढ़ा है।

अन्य विद्यालयी संकेतक

● अधिकांश बच्चों को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष की पाठ्यपुस्तकें मिल गई थी। 90.1% प्राथमिक विद्यालयों में और 84.4% उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सभी कक्षाओं को पाठ्यपुस्तकें वितरित की गई थी।

बिहार में 30.2% प्राथमिक विद्यालयों में और 34.9% उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कक्षाओं को पाठ्य पुस्तकें बच्चों के पास थी ( बिहार में किताब के लिए राशि दी जाती हैं ).  

● सभी प्राथमिक विद्यालयों में से लगभग 80% को अपने छात्रों के साथ बुनियादी साक्षरता व संख्याज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy / FLN) संबंधित गतिविधियों को लागू करने का सरकारी निर्देश प्राप्त हुआ था, और लगभग उतने ही विद्यालयों में कम से कम 1 शिक्षक को बुनियादी साक्षरता व संख्याज्ञान पर प्रशिक्षण मिला।

बिहार में सभी प्राथमिक विद्यालयों में से लगभग 90.9% को बुनियादी साक्षरता और संख्याज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy / FLN) संबंधी गतिविधियों को लागू करने का निर्देश प्राप्त हुआ था, और लगभग उतने ही विद्यालयों में कम से कम 1 शिक्षक को प्रशिक्षण प्राप्त हुआ थ

0 Response to "ऐन्युअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) 2022 आज सुबह नई दिल्ली में पीरामल ग्रुप के चेयरमैन और प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन श्री अजय पीरामल द्वारा जारी की गई"

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