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पूर्ण गुरु की पहचान ईश्वर दर्शन से होती है : साध्वी सुमति भारती

पूर्ण गुरु की पहचान ईश्वर दर्शन से होती है : साध्वी सुमति भारती



 *पूर्ण गुरु की पहचान ईश्वर दर्शन से होती है : साध्वी सुमति भारती* 

पटना : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा एकदिवसीय सत्संग प्रवचन एवं भजन संकीर्तन का भव्य आयोजन रुकनपुरा, पटना में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव, दीघा विधायक संजीव चौरसिया व खगोल नगर परिषद अध्यक्ष सुजीत कुमार सहित सैकड़ो भक्तगण शामिल हुए। 

संस्था के संस्थापक एवं संचालक सर्वश्री आशुतोष जी महाराज जी की शिष्या साध्वी सुमति भारती जी ने बहुत ही सुंदर तरीके से मानव जीवन का महत्व, मानव जीवन का लक्ष्य और लक्ष्य को प्राप्त करने में एक पूर्ण गुरु की जरूरत पर व्याख्यान किया। उन्होंने बताया कि मानव जीवन बड़ा दुर्लभ है और साथ में क्षणभंगुर भी, ईश्वर की कृपा से इस महान जीवन को प्राप्त कर जीवन के महान लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भी विचार करना चाहिए। हमारे हर शास्त्र ग्रंथो में बताया गया है कि मानव जीवन का एक ही परम लक्ष्य है इस तन के रहते - रहते ईश्वर की प्राप्ति, ईश्वर का साक्षात्कार, ईश्वर का दर्शन कर लेना और इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमेशा से समय के पूर्ण गुरु की जरूरत पड़ती है, जो ईश्वर जिज्ञासुओं को ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा प्रदान कर मानव तन रुपी मंदिर के भीतर ही प्रकाश स्वरुप परमात्मा का दर्शन करा देते हैं । साध्वी जी ने बताया कि हर शास्त्र ग्रंथ में इस बात का प्रमाण है कि मानव तन रूपी मंदिर के भीतर ईश्वर का निवास है ओर जिसने भी ईश्वर को पाया है एक पूर्ण गुरु के ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा द्वारा ही प्राप्त किया हैं। वहीं सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य अरुण जी ने बताया कि पूर्ण गुरु की पहचान उनके वेशभूषा से नहीं होती, न हीं किसी के पीछे लाखों की भीड़ चलने से उसे संत माना जाता है बल्कि संत की पहचान ज्ञान से होती है, एक विचारणीय बात यह है कि आज समाज में बहुत सारे तथाकथित संत भोले लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर उन्हे ठगते हैं, यहां तक की रामायण में कथा वर्णित है कि त्रेतायुग में जब रावण मां सीता का हरण करने गया तो वह भी संत का ही वेश धारण करके गया था और आज तो कलयुग है , फिर आज हम कैसे कह सकते हैं कि गेरुआ वस्त्र , शास्त्र ग्रंथो का ज्ञाता ही संत की पहचान होगा। द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण अर्जुन को युद्ध के मैदान में ज्ञान देते हैं तब भी अर्जून अपने भीतर ही प्रकाश स्वरुप भगवान के विराट रुप का दर्शन करता है। और आज हमें भी ऐसे ही गुरु की तलाश करनी चाहिए जो तन रुपी मंदिर के भीतर प्रकाश स्वरुप परमात्मा का दर्शन करा सकें। संस्था के संस्थापक एवं संचालक सर्वश्री आशुतोष जी महाराज जी निःशुल्क ब्रह्म ज्ञान की दीक्षा प्रदान कर हर जिज्ञासु को ईश्वर का साक्षात्कार करा रहे हैं । साध्वी महामाया भारती जी ने सुमधुर भजनों का गायन भी किया जिसमें तबले पर नीतीश जी ने सहयोग दिया।

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