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बिहार का पहला डेडिकेटेड कैंसर सेंटर मगध कैंसर सेंटर द्वारा मल्टीपल मायलोमा पर सी. एम. इ का आयोजन

बिहार का पहला डेडिकेटेड कैंसर सेंटर मगध कैंसर सेंटर द्वारा मल्टीपल मायलोमा पर सी. एम. इ का आयोजन


 बिहार का पहला डेडिकेटेड कैंसर सेंटर मगध कैंसर सेंटर द्वारा मल्टीपल मायलोमा पर सी. एम. इ का आयोजन

 पटना, बिहार का पहला डेडिकेटेड कैंसर सेंटर मगध कैंसर सेंटर द्वारा मल्टीपल मायलोमा पर सी. एम. इ का आयोजन :- मगध कैंसर सेंटर के डायरेक्टर बिहार ही नहीं देश के जाने -माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ रिदु कुमार शर्मा ने कहा मल्टीपल मायलोमा एक कैंसर है जो प्लाज्मा सेल नामक एक प्रकार की सफ़ेद रक्त कोशिका में बनता है. स्वस्थ प्लाज्मा कोशिकाएं ऐंटी बॉडी नामक प्रोटीन बनाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करती है. ऐंटीबॉडी रोगाणुओं को खोजती हैऔर उनपर हमला करती है. मल्टीपल मायलोमा में कैंसर युक्त प्लाज्मा कोशिकाएं अस्थि मज्जा में बनती है. डॉ शर्मा ने कहा की मल्टीपल मायलोमा एक दुर्लभ रक्त कैंसर है जो आपके प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है. इस बीमारी की प्रगति को धीमा किया जा सकता है, कुछ लोग मल्टीपल मायलोमा के साथ सालों जीते हैं. प्रभात डायग्नोस्टिक के डायरेक्टर डॉ प्रभात रंजन ने कहा की मल्टीपल मायलोमा का संकेत एनीमिया है, अक्सर मल्टीपल मायलोमा के पहले लक्ष्णो में से एक है. चुंकि मायलोमा कोशिकाएं अस्थि मज्जा में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में बाधा डालती है इसलिए , लाल रक्त कोशिकाओं (एनीमिया ) की कमी हो सकती है. डॉ रामाकांत ने कहा मायलोमा सबसे पहले अस्थि मज्जा में शुरू होता है लेकिन शरीर के कई अन्य हिस्सों में फ़ैल सकता है मायलोमा के 3 चरण होते हैं. अंत में डॉ शर्मा ने मायलोमा का सफल उपचार के बारे में बताया इसका उपचार मोनोक्लोनल ऐंटीबॉडी से किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं से चिपक़ जाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को उनपर हमला करने के लिए प्रेरित करते हैं. इस सी. एम इ में शहर के सकड़ों डॉक्टर्स भाग लिए एक दूसरे का विचार जाने. एक दूसरे से अपना अनुभव साझा किए.

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