
पटना नगर निगम वार्ड 21 की पार्षद श्वेता रंजन ने प्रेस विकसित जारी करते हुए कहा है कि पटना उच्च न्यायालय ने पटना नगर निगम से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है
पटना। पटना नगर निगम वार्ड 21 की पार्षद श्वेता रंजन ने प्रेस विकसित जारी करते हुए कहा है कि पटना उच्च न्यायालय ने पटना नगर निगम से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है। पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति राजीव राय के एकल पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम तथा राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से आगामी 4 सप्ताह के अंदर जवाब दायर करने के लिए कहा है। वार्ड पार्षद श्वेता रंजन ने बताया कि पिछले दिनों पटना नगर निगम के सभी अंचल नूतन राजधानी,कंकड़बाग,पटना सिटी,बांकीपुर,अजीमाबाद तथा पाटलिपुत्र के कार्यपालक अभियंताओं के द्वारा लगभग 120 करोड़ की राशि के निविदाओं को विभिन्न योजनाओं तथा कार्यों को लेकर आमंत्रित किया गया था। उक्त सभी निविदाओं को पटना नगर निगम के आम सभा तथा सशक्त स्थायी समिति की बैठक में पेश किए बगैर सीधे निविदाएं की गई थी। जो एक प्रकार से पटना नगर निगम तथा वार्ड पार्षदों के अधिकारों का हनन था।इसके खिलाफ पटना नगर निगम के वार्ड 21 की पार्षद श्वेता रंजन ने श्वेता रंजन के अलावे वार्ड पार्षद विनय कुमार पप्पू,रजनीकांत,अनीता देवी,सारिका कुमारी तथा ज्ञानवती देवी ने पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया था। इस मामले में वार्ड पार्षदों की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार के द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। पटना नगर निगम तथा राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को आगामी चार सप्ताह के अंदर इस मामले में अपना जवाबी हल्कानामा तैयार करने के लिए कहा गया है।इतना ही नहीं माननीय उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अवधि के दौरान इस प्रकार की निविदाओं पर रोक लगा दी। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है कि इसके बावजूद अगर निविदाएं जारी की जाती है तथा कार्य होते हैं।तो सुनवाई के उपरांत इसका समूल खर्च कार्यपालक अभियंता तथा कार्य करने वाले संवेदक से वसूल की जाएगी।उच्च न्यायालय ने जवाब देने पर विलंब करने की स्थिति में प्रतिदिन 2 हजार फाइन का भी आदेश जारी किया है।
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