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अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने अन्तारराष्टीय महिला दिवस के अवसर मार्च निकाला वह सभा की

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने अन्तारराष्टीय महिला दिवस के अवसर मार्च निकाला वह सभा की


*अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने अन्तारराष्टीय महिला दिवस के अवसर मार्च निकाला वह सभा की * रोजी-रोटी और बराबरी चाहिए

   युद्ध नहीं शांति चाहिए

*नफरत, दमन, उन्माद और कट्टरपंथ के खिलाफ आगे बढ़ो! 

*आजादी, प्रेम, बहनापा, बराबरी और सम्मान की दावेदारी मजबूत करो !

*रूस यूक्रेन पर हमला बंद करो, *अमेरिका-नाटो अपनी विस्तारवादी साजिश बंद करो!  का दिया नारा        

          8 मार्च को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ऐपवा पटना ने बुद्ध स्मृति पार्क से जुलूस निकाला। जुलूस का नेतृत्व ऐपवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, प्रोफेसर भारती एस कुमार, राज्य सह सचिव अनिता सिन्हा तलाश पत्रिका की सम्पादक मीरा दत्ता, कोरस की संयोजक समता राय, ऐपवा नेत्री अनुराधा सिंह, राखी मेहता, अफसां जबीं, आसमां खान, शोभा सिंह आदि ने किया। जुलूस डाक बंगला चौराहा होते हुए पुनः बुद्ध स्मृति पार्क आकर सभा में तब्दील हो गया। 

    सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि यह 8 मार्च को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस है जो हमें अपने नागरिक अधिकारों को हासिल करने की क्रांतिकारी विरासत की याद दिलाता है और अपनी जिन्दगी के सवालों के बुनियादी कारणों की पड़ताल की ताकत और हौसला देता है। यह दिन महिलाओं के आर्थिक अधिकार, सामाजिक गरिमा व राजनीतिक न्याय हासिल करने के संघर्ष का प्रतीक है. श्रमिक महिलाओं की लड़ाई से उर्जा लेकर इस दिन महिलाओं ने दुनिया भर में साम्राज्यवाद और युद्धों के खिलाफ शांति, खुशहाली और रोटी के लिए बड़े-बड़े आंदोलन किए हैं और कई जीतें हासिल की हैं। 

      आगे उन्होंने कहा कि लेकिन, आज के महिला-विरोधी लूटतंत्र में, संघर्ष से हासिल हमारे ये अधिकार खतरे में हैं और पूरी दुनिया में महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रही हैं. पूंजी, धर्म, सत्ता, सामंत का गठजोड़ अपनी पूरी ताकत से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की मूल भावना व चेतना को ओझल करने की कवायद में लगा हुआ है। अपने देश की बात करें तो मजदूर महिलाएं सरकार द्वारा पारित श्रम कानूनों के खिलाफ लड़ रही हैं. आंगनवाड़ी- स्कीम वर्कर्स लड़ रही हैं कि उन्हें कर्मचारी की मान्यता और न्यूनतम वेतन मिले. स्वयं सहायता समूहों व माइक्रो फायनांस संस्थाओं से छोटे कर्ज लेने वाली महिलाएं कर्ज माफी, ब्याज दरों को कम करने, अपने रोजगार के लिए ट्रेनिंग, बाजार और अन्य राहतों की मांग कर रही हैं।


   आगे उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़कों को यह सरकार कितनी निर्लज्जता से संरक्षण दे रही है इसका ताजा उदाहरण हमलोगों ने देखा कि बलात्कारी- हत्यारे 'बाबा' रामरहीम को जेल से निकाल कर जेड प्लस सुरक्षा दे दी गई ताकि वह विधानसभा चुनावों में भाजपा को वोट डलवाए। 

   हाल ही में कर्नाटक राज्य के स्कूल-कालेजों में छात्राओं को हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी गई. हिजाब पहनी एक छात्रा को रोकने के लिए कुछ उन्मादी छात्रों ने उसे घेरकर भगवा दुपट्टे हाथों में लहराते हुए जयश्री राम का नारा लगाते हुए उसके साथ बदसलूकी की।

    आज किसान-मजदूर महिलाएं हों या गृहणियां, सभी महंगाई से परेशान हैं। गैस सिलेंडर महंगा होता जा रहा है। बेरोजगारी चरम पर है। हर जगह अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। आम जनता परेशान है ।

  इसलिए, आइये, नफरत, हिंसा और उन्माद के खिलाफ तथा प्रेम, बहनापा और आज़ादी के लिए सक्रिय हस्तक्षेप कर तानाशाही सरकार की अलगाववादी व विभाजनकारी राजनीति को शिकस्त दें।     

   आगे नेताओं ने कहा कि इस समय रूस ने युक्रेन पर हमला कर वहां की जनता को युद्द में धकेल दिया है। आइये, हम रूस से युक्रेन पर हमला बंद कर तत्काल युद्द को रोकने की मांग करें, हम अमेरिका और नाटो से भी मांग करें कि वह पर्दे के पीछे से अपनी विस्तारवादी साजिश बंद करे क्योंकि युद्ध से आम लोगों को तबाही और बर्बादी के सिवाय और कुछ हासिल नहीं होता।

भारत सरकार ने युक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को समय रहते स्वदेश लाने में आपराधिक लापरवाही बरती है जिसका नतीजा है कि रूसी हमले में एक भारतीय छात्र मारा गया है और कई छात्र लापता बताए जा रहे हैं. हम मांग करते हैं कि सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने का इंतजाम करे।

  अंत में कोरस गायन व नाट्य टीम ने औरतों के मन की बात नाटक किया। नाटक का लेखन व निर्देशन समता राय ने किया था। समता के अलावा किरदार थीं अवधि व सोनी।

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