
सनातन परंपरा की रक्षा के लिये पांडुलिपी का संरक्षण जरूरी -हरिप्रिय दास
सनातन परंपरा की रक्षा के लिये पांडुलिपी का संरक्षण जरूरी -हरिप्रिय दास
पटना सिटी.सनातन परंपरा को जीवंत रखने के लिये प्राचीन पांडुलिपी का संरक्ष्ण जरूरी है यह बात वृन्दाबन स्थित गौरैया मठ से आये हरि प्रिय दास ने प्राचीन समाचार पत्र बिहारबन्धु के संपादक गोस्वामी गोवर्धन लाल कवि चूड़ामणि की 87 वी और उनके पौत्र आशुकवि आचार्य मधुकर की 21 वी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित "पांडुलिपी के संरक्षण विषयक'" संगोष्टि में कही । लल्लू बाबू का कूंचा के कविचूड़ामणि पथ स्थित हित हरिवंश पुस्तकालय में उन्होंने कहा कि पश्चिमी हवा हावी होने का एक एकमात्र कारण संस्कार का पतन है । पुण्डरीक दास एवम शुभ कृष्ण दास ने कहा कि वे कई वर्षों से वैष्णव परंपरा की पांडुलिपी का संरक्षण के साथ डिजिटलाइजेशन निस्वार्थ भाव से कर रहे है ताकि पांडुलिपी का फायदा नेट के माध्यम से विश्व के लोगो को मिल सके। इसके तहत वे जीर्ण शीर्ण पांडुलिपी की मरम्मत भी करते है।
इससे पूर्व तीनो ब्रजवासियों ने दोनों विभूतियो को पुष्पांजलि किया। उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता ओम प्रकाश अग्रवाल ने भी संबोधन किया। इस अवसर पर पांडुलिपी की प्रदर्शनी भी लगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्मृति समिति के महासचिव अधिवक्ता व वंशज बृजेश गोस्वामी ने राज्य सरकार द्वारा कविचुड़ामणि को राजकीय सम्मान देने की मांग की। रंजन अग्रहरि ने अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया। मौके पर अंजू गोस्वामी, अजीत अग्रहरि,प्रेम कुमार,कमल अग्रवाल,उमा अग्रवालश्लेष रोहतगी आदि अनेक लोग उपस्थित थे।
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