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अपनी कशिश आवाजों में आज भी ज़िन्दा हैं रफ़ी साहब : डा. ध्रुव कु.

अपनी कशिश आवाजों में आज भी ज़िन्दा हैं रफ़ी साहब : डा. ध्रुव कु.

 


अपनी कशिश आवाजों में आज भी ज़िन्दा हैं रफ़ी साहब : डा. ध्रुव कु.

 पटना सिटी I कई फनकार आए और गुमशुदा हो गए l लेकिन रफ़ी 

साहब अपनी कशिश आवाज़ की 

बदौलत आज भी सबके दिलों में 

जिन्दा हैं l सेलिब्रिटी का भी बिना रफ़ी साहब का गाना गाए उनका 

मंच अधूरा ही रहता है I आज भी 

देखने सुनने को मिलता है I रफ़ी ने 

सभी तरह के गाने गाए जो आज भी सुनने पर सीधे रूह पर दस्तक देता है I .......मन तड़पत हरि दर्शन को आज स्पष्ट प्रमाण है I" ये बातें जंगली प्रसाद लेन स्थित 

स्वरांजलि सभागार में रफ़ी साहेब 

के जन्मदिन पर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संगीत मर्मज्ञ व

लेखक डा. ध्रुव कुमार ने अपने उद्गार 

में कही I तत्पश्चात्‌ सादे समारोह में 

सांस्कृतिक आयोजन हुआ जिसकी 

शुरुआत संयोजक अनिल रश्मि नें 

बार बार दिन ये.... हैप्पी बर्थ डे ...

गाकर रफ़ी साहब के जन्मदिन की 

याद ताजा की I 


2. आलोक चौबे ने..........


     दिल का सुना साज.......l 

 

3. अभिषेक पैट्रिक ने.......


       दर्दे दिल दर्दे जिगर......


4. मुन्ना कुमार ने............


     तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान ....I 


5. पप्पू गुप्ता ने .............I 

      बने चाहे दुश्मन ज़माना......I 

6. आलोक चोपड़ा ने............

      

       मेरे पैरों में घुँघरू बंधा दे.......I 


7. संजीव प्रियदर्शी ने..............


     आदमी मुसाफ़िर है..............I 


    प्रारंभ में रफ़ी साहेब के तैलचित्र ĺ

    पर आगत कलाकारों व अतिथियों ने पुष्प व मालाएँ अर्पित की I मौक़े पर रामजी मेहता, नेक आलम, नितिन कुमार वर्मा, राजा puttu, विजयेंद्र चंद्रवंशी , सुनीता रानी, प्रीति कुमारी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए l इस आशय की जानकारी मीडिया प्रभारी जितेंद्र 

कुमार पाल ने दी l 

       

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