Advertisment

Advertisment
चैनल-पोर्टल चंदे के धंधे में गुंडों-अपराधियों को बांट रहे शहर-प्रदेश रत्न

चैनल-पोर्टल चंदे के धंधे में गुंडों-अपराधियों को बांट रहे शहर-प्रदेश रत्न

चैनल-पोर्टल चंदे के धंधे में गुंडों-अपराधियों को बांट रहे शहर-प्रदेश रत्न

कान्क्लेव,अवार्ड शो, मेलों और दूसरे आयोजनों के नाम पर व्यपारियों, उद्योगपतियों, डॉक्टरों से जबरन हो रही करोड़ों की वसूली

कार्यक्रम में चंदा नहीं देने पर देते हैं बदनाम करने की धमकियां, कई तो आत्महत्या करने को विवश

मालिक तक पहुंचते हैं महज 10 लाख,फील्ड में वसूली होती है कई-कई करोड़ की 


लखनऊ :- कभी अवार्ड सम्मान का विषय हुआ करता था। किसी को अवार्ड मिलता था तो घर-परिवार से लेकर मुहल्ला-गांव और कई बार जिला और प्रदेशभर में इसकी गूंज होती थी लेकिन अब अवार्ड देने को लेकर ऐसी मारामारी चल रही है कि गुंडों, तड़ीपार अपराधियों तक को शहर रत्न और प्रदेश रत्न बांटे जा रहे हैंं। इन रत्नों और अवार्डों का न तो कोई मानक बचा है और न ही सम्मान बाकी है।

करोड़ों रुपए के बेरसीदी चंदे के धंधे ने कुछ अखबारों, न्यूज चैनलों और पोर्टलों में ऐसे आयोजनाें की होड़ लगा दी है। देखादेखी छुटभैय्ये पोर्टल वाले भी इन्हीं के नक्शेकदम पर ब्लैकमेलिंग के धंधे पर उतर आए हैं। कहीं कॉन्क्लेव के नाम पर व्यापारियों से वसूली हो रही है तो कोई तरह-तहर के मेले तो कोई यात्राओं तो कोई अवार्ड शो का आयोजन कर रहा है। मकसद सभी का एक है, इन आयोजनों के नाम पर उद्योगपतियों, डॉक्टरों और व्यापारियों से करोड़ों रुपए की उगाही। 

चंदे से इंकार का मतलब आपको धंधा नहीं करने देंगे

नोएडा के बड़े डॉक्टर नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि, ये कुछ चैनल, अखबार और पोर्टल अब बाकायदा सुनियोजित वसूली गैंग की तर्ज पर अपराधियों की तरह ही प्रदेश के उद्योगपतियों, बड़े डॉक्टर्स और व्यापारियों से एक्सटॉर्शन मनी वसूल रहे हैं। ये आए दिन आते हैं और कभी कान्क्लेव, कभी अवार्ड शो, कभी कोई यात्रा तो कभी कोई त्योहार के उत्सव के आयोजन के नाम पर चंदा मांगते हैं। एकाध बार इंकार करने की कोशिश की तो बोले- सोच लीजिए इतना बड़ा अस्पताल चला नहीं पाएंगे बगैर मीडिया सहयोग के। अब ये एक्सटॉर्शन नही तो और क्या है ? आप इनकी नहीं सुनेंगे तो आत्महत्या के लिए विवश कर देंगे।
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक घरानों से लेकर गली-मुहल्लों के छोटे-बड़े व्यापारी तक चैनल, अखबार और पोर्टल वालों के इस गंदे धंधे से हलकान हैं। नौबत यहां तक आ गई है कि मीडिया संस्थान के किसी आयोजन का न्योता मिलते ही व्यापारी और मेडिकल संस्थान कांप जाते हैं। न्योते का मतलब है लाखों का चंदा। मार्केटिंग के लोगों के साथ पत्रकार भी जाता है वो धमकाता है हमारी बात नहीं मानी तो आपका धंधा करना मुश्किल कर देंगे।

आयोजनों की आड़ में पत्रकारों ने करोड़ों कमाए, वसूली के लिए लड़कियां रखीं

क्योंकि ऐसे आयोजनों के लिए विज्ञापन की तरह रसीद नहीं काटी जाती। इसनिए अखबारों , चैनल-पोर्टलों की टीम किसी आयोजन के लिए व्यापारियों, उद्योगपतियों और डॉक्टरों से वसूलती है 50-60 लाख और ऊपर मालिकों को बताती है महज 10 से 15 लाख की कुल वसूली। ऐसे में अब भला इन अखबार,चैनल और पाेर्टल के इवेंट टीम और पत्रकारों के लिए इससे अच्छा धंधा और क्या ही होगा। इन आयोजनों के बहाने इनके पत्रकार और मैनेजमेंट टीम कई-कई लाख रुपए बचा लेते हैं। इन्होंने करोड़ों की कोठियां और गाड़ियां खरीद ली हैं। मीडिया संस्थानो के नैतिक पतन की पराकाष्ठा तो ये है कि इन आयोजनों में चंदा वसूली के लिए कई मीडिया संस्थान लड़कियों तक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके लिए रिपोर्टिंग टीम से लेकर इवेंट टीम तक खूबसूरत लड़कियां रखी गई हैं। जिनका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ब्लैकमेलिंग में करने में भी इन संस्थानों काे कोई संकोच नहीं है।

अपराधियों को रत्नों से नवाज रहे मीडिया संस्थान
मीडिया संस्थानों के आयोजनों में अवार्ड या रत्न का कोई मानक नहीं। स्थिति ये है कि ऐसे लोगों को भी अवार्ड मिल जा रहे हैं जो पुलिस की नजर में अपराधी या संदिग्ध हैं। इन आयोजनों का सबसे अधिक फायदा इसी तरह के तत्व उठा रहे हैं। चंदे के दम पर अवार्ड पाने वाले अपराधी इन आयोजनों के दम पर व्हाइट कॉलर बनने का रास्ता तलाशते हैं। बाद में पुलिस को भी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से पहले हिचक होती है। 

कई जगह पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी भी वसूली में शामिल
कई जगहों पर सेटिंग के चलते पुलिस प्रशासनिक अधिकारी भी इन मीडिया संस्थानों के आयोजनों से जुड़ जाते हैं और चंद में अपना कमीशन तय करके चंदा वसूली में इनकी मदद करते हैं। चंदा नहीं देने वालों को पुलिस प्रशासन से धमकवाया जाता है। व्यापारी को अपना धंधा करना है मजबूरन चंदा देकर अपना पीछा छुड़ाता है। लेकिन एक्सटॉर्शन से परेशान व्यापारी ऐसे मीडिया संस्थानों के मालिकों को बददुआ देते नहीं थकता।

एक खत्म दूसरा शुरू, महीने में कई-कई आयोजन
हालात यह हैं कि अब तो तमाम शहरों के कारोबारियों-व्यापारियों और संस्थाओं में मीडिया अवार्ड के नाम से बुखार चढ़ जाता है। एक संस्था का अवार्ड लें तो अगले ही महीने दूसरा मीडिया हाउस पहुंच जाता है। और उसका लें तो तीसरा, चौथा और पांचवां। किसी मीडिया संस्थान ने कॉन्क्लेव रख लिया तो कोई यात्रा निकाल रहा है। यहां तक कि अब तो ये आए दिन मेले भी लगाने लगे हैं। किसी की डांडिया नाइट हो रही है तो कोई सिंगर, डांसर नाइट और आयोजन के दूसरे बहाने तलाश रहा है ताकि करोड़ों का चंदा वसूल सके। मीडिया संस्थान अपना मूल काम छोड़ बाकी सभी धंधों में लग गए हैं जहां से रकम वसूली जा सके।

BJP सरकार को भी कोस रहे व्यापारी-उद्योगपति
लखनऊ के एक कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर भाजपा सरकार को कोसते हुए कहा, क्या सरकार को कुछ नजर नहीं आ रहा है। क्या सरकार तभी चेतेगी जब इन मीडिया संस्थानों के एक्सटॉर्शन से परेशान होकर कोई बड़ा डॉक्टर, व्यापारी या उद्योगपति सुसाइड कर लेगा। सरकार अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर अभियान चला रही है। लेकिन अपराधियों के संगठित गिरोह की तरह काम कर रहे इन मीडिया संस्थानों की इवेंट टीम और पत्रकारों पर एक्शन कब होगा। यदि आप इन्हें चंदा देने से इंकार करते हैं तो संबंधित पत्रकार और उसका संस्थान आपकी इमेज और जीवनभर की साख का पोस्टमार्टम करने की खुली धमकियां देने पर उतारू हो जाते हैं।

0 Response to "चैनल-पोर्टल चंदे के धंधे में गुंडों-अपराधियों को बांट रहे शहर-प्रदेश रत्न"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article