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योजनाओं का लाभ लेने हेतु आॅनलाईन आवेदन, पंजीकरण, सत्यापन एवं भुगतान की प्रक्रिया से समय की होगी बचत  -श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह

योजनाओं का लाभ लेने हेतु आॅनलाईन आवेदन, पंजीकरण, सत्यापन एवं भुगतान की प्रक्रिया से समय की होगी बचत -श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह

योजनाओं का लाभ लेने हेतु आॅनलाईन आवेदन, पंजीकरण, सत्यापन एवं भुगतान की प्रक्रिया से समय की होगी बचत-श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह 

माननीय मंत्री, कृषि विभाग, बिहार श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा आज भूमि संरक्षण निदेशालय के द्वारा संचालित विभिन्न योजनायों के लिए ऑनलाइन आवेदन, पंजीकरण एवं सत्यापन की प्रक्रिया का शुभारंभ विकास भवन, नया सचिवालय, पटना अवस्थित अपने कार्यालय कक्ष से वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ० एन० सरवण कुमार, सचिव, कृषि विभाग द्वारा की गई।

माननीय मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लिए आवेदन, पंजीकरण, सत्यापन एवं भुगतान की प्रक्रिया ऑनलाइन होने से सभी लाभुकों तक योजना की पहुँच कम समय में हो पायेगी। साथ ही, योजना के कार्यान्वयन में भी सहूलियत होगी। योजना के अंतर्गत लाभुकों को प्रदान की जाने वाली अनुदान की राशि भी सीधे लाभार्थी के बैंक खाता में ट्रांसफर की जा सकेगी और लाभार्थी को बिना किसी बिचैलिये के आसानी से अनुदान की पूरी रकम प्राप्त हो जाएगी। इससे योजना के कार्यान्वयन में भी पारदर्शिता आयेगी। साथ ही, योजना के कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण में भी आसानी होगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि ऑनलाइन एप्लीकेशन सिस्टम पूरे राज्य परियोजना क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान से इसका लाभ उठा सकेगा। किसी भी लाभुक को योजना का लाभ लेने हेतु ऑनलाइन आवेदन के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।

उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा भूमि एवं जल संरक्षण परियोजनाओं पर विशेषकर दक्षिण बिहार के जिलों में कृषकों की बहुआयामी हित के लिए कार्य किया जाता रहा है। अब तक भूमि संरक्षण निदेशालय द्वारा विभिन्न योजनांतर्गत कुल 35,214 जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया गया है। इसके अंतर्गत 10,297 विभिन्न आकार के जल संचयन तालाब, 2,810 मेड़बंदी, 6,652 आहार पाईन का जीर्णोद्धार, 1,578 पक्का चेक डैम, 722 सामुदायिक तालाब का जीर्णोद्धार, 4,043 साद अवरोधक बाँध, 989 मिट्टी के बाँध, 1,455 सिंचाई कूप एवं 6,718 अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया है। इन संरचनाओं के निर्माण से कुल 85,486 हे॰ अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का सृजन किया गया है। साथ ही, भू-जल स्तर में भी वद्धि हुई है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अनुसार भूमि जल स्तर में 1 फीट से 17 फीट तक वृद्धि पाई गयी है, जिसकी सराहना नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा भी की गयी है। 

श्री सिंह ने बताया कि संरचनाओं का निर्माण तथा भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होने के फलस्वरूप किसानों द्वारा वर्ष में एक से अधिक फसल लिया जा रहा है, जिससे परियोजना क्षेत्र में फसल उत्पादकता में 17 से 29 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। आगे भी इन योजनओं के क्रियान्वयन से दक्षिणी बिहार के वर्षा आश्रित क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई व्यवस्था, फसल सघनता तथा फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी। वर्षा जल संचय में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे भू-जल पुनर्भरण के साथ ही, अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इसके अतिरिक्त वृक्षारोपण से उद्यानिकी फलोत्पादन एवं पर्यावरण में सुधार होगा तथा परियोजना क्षेत्र के किसानों एवं भूमिहीन परिवारों में रोजगार के अवसर बढ़ाने आदि में मदद मिलेगी, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होगी। 

सचिव, कृषि ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा नई तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। आज भूमि संरक्षण निदेशालय की योजनाओं को आॅनलाईन किया गया है। उन्होंने निदेश दिया कि विभाग के सभी योजनाओं को आॅनलाईन किया जाये, इससे पारदर्शिता बनी रहेगी। उन्होंने सभी पदाधिकारियों से अपील किया कि किसानों को आॅनलाईन के संबंध में जानकारी दी जाये। साथ ही, संबंधित पदाधिकारियों को प्रशिक्षित भी की जाये। 

इस अवसर पर श्री बैंकटेश नारायण सिंह, निदेशक, भूमि संरक्षण, श्री रवीन्द्र कुमार वर्मा, संयुक्त निदेशक (कृषि अभियंत्रण), श्री संजय कुमार सिंह, उप निदेशक (शष्य) योजना, श्री आलोक कुमार सिंह, उप निदेशक (कृषि अभियंत्रण), श्री नीरज कुमार, सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण), एवं डॉ॰ चंचला प्रिया सहायक निदेशक (कृषि अभियंत्रण) समेत विभागीय क्षेत्रीय अन्य पदाधिकारीगण वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे।
 

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