स्वर कोकिला लता मंगेशकर और सिंगर किंग बप्पी लहरी को दी संगीतमय श्रद्धांजलि
• स्वर, संगीत, साधक अमर होते हैं - डॉ. राज कुमार नाहर
पटना सिटी : कलाकार कभी नहीं मरते बल्कि अमर होते है. स्वर, संगीत और कला के साधक कभी नहीं मरते, वो अपनी कीर्तीयों में जिंदा रहते हैं, वो अमर हो जाते हैं. संगीत ऐसी विद्या है़, जिससे आप सदियों तक जीवित रह सकते हैं क्योंकि संगीत स्वयं ईश्वर है़. ये बातें मंगल तालाब स्थित पाटलिपुत्र परिषद के सभागार में आयोजित लता मंगेशकर और महान संगीतकार व गायक बप्पी लाहिड़ी के श्रधांजलि सभा में दूरदर्शन के कार्यक्रम निदेशक डॉ. राज कुमार नाहर ने कही.
वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. टी.पी. गोलावारा ने की. संस्था के महासचिव संजीव यादव ने कहा कि हमनें भारत के दो महान गायक को खो दिया है़, जिसकी पूर्ति सिने जगत में कोई नहीं कर सकता है, लेकिन उनके गाए गीत भजन सबके दिलों पर क़यामत तक राज करेगा. वहीं कलाकारों ने तैल चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित की. इस मौक़े पर कलाकारों ने लता व बप्पी दा की याद में अपनी स्वरांजलि
अर्पित की. वहीं कार्यक्रम का आगाज़ प्रखर युवा गायक समर्थ नाहर से हुआ उन्होंने 'तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे' गाकर श्रोताओं के दिलों में समा गए. पाटलिपुत्र परिषद के कला प्रमुख व
वरीय गायक भूषण खत्री ने 'दिल तो है़ दिल दिल का ऐतबार' गाकर महफ़िल को संगीतमय बना दिया. जिसे सुनकर श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए. अनिल रश्मि ने 'चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना', प्रेम कुमार ने 'बेदर्दी बालमा तुझको मेरा मन', संजीव प्रियदर्शी ने 'मेरी आवाज ही पहचान है़', गार्गी खत्री ने 'ऐ मेरे वतन के लोगों', संजय कुमार 'याद आ रहा है़ तेरा प्यार' सहित कई गायकों ने गीत संगीत से श्रद्धांजलि दी. इस मौक़े पर कलाकार संघ के अध्यक्ष आलोक चोपड़ा, संजय रॉय, अनंत अरोड़ा, संजीव कुमार यादव, सार्थक नाहर, पूर्व पार्षद बलराम चौधरी, नेक आलम, संतोष सावन सहित दर्जनों कला प्रेमी उपस्थित थे.
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