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छात्र संगठन आइसा ने ट्रेड यूनियनों के दो दिवसीय देशव्यापी को दिया समर्थन

छात्र संगठन आइसा ने ट्रेड यूनियनों के दो दिवसीय देशव्यापी को दिया समर्थन


*छात्र संगठन आइसा ने ट्रेड यूनियनों के दो दिवसीय देशव्यापी को दिया समर्थन*

*ट्रेड यूनियनों के समर्थन में छात्र संगठन आइसा भी उतरा सड़क पर*

देशभर के ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए हड़ताल में छात्र संगठन आइसा ने आज सड़क पर उतरकर हड़ताल का समर्थन किया। चार श्रम कोड कानून, बढ़ती बेरोजगारी, कमर तोड़ महंगाई, नियुक्तियों में ठेका प्रथा, निज़ीकरण, के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का 28 और 29 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल बुलाया गया था। 

डाकबंगला चौराहे पर आइसा ने भी ट्रेड यूनियनों के साथ सड़क पर उतरकर नारेबाज़ी किया। 

आइसा राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम ने कहा कि आज सरकारी संस्थानों का अंधाधुंध निज़ीकरण किया जा रहा है। श्रम के घंटे को 12 कर दिया गया है और कंपनियां मजदूरों का शोषण कर रही है। महंगाई बढ़ रही है लेकिन न्यूनतम मजदूरी नहीं बढ़ रही है। कर्मचारियों के वेतन नहीं बढ़ रहे हैं। आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को पेट पालने लायक वेतन नहीं मिल रहा है। नयी शिक्षा नीति 2020 के नाम पर संस्थानों को निज़ी हाथों में सौंपने की तैयारी मोदी सरकार कर चुकी है।विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चर लाया जा रहा है और कम पैसा दे कर उनके श्रम शोषण किया जा रहा है। 

 छात्र संगठन आइसा ट्रेड यूनियन के दो दिवसीय हड़ताल का समर्थन कर रहा है और इस लडाई में मजबूती के साथ आगे भी खड़ा रहेगा। 



आइसा राज्य कार्यकारिणी सदस्य नीरज यादव ने कहा कि मोदी सरकार एक तरफ़ चीजें महंगी कर रही हैं तो दूसरी तरफ़ रिक्त सीटों पर भी नियुक्तियाँ नहीं कर रही है और बेरोजगारी बढ़ा रही है। देश का किसान मजदूर चौतरफा मार झेल रहा है। 


प्रदर्शन में आइसा राज्य सह सचिव कुमार दिव्यम, आइसा कार्यकारिणी सदस्य नीरज यादव, पटना विश्वविद्यालय के आइसा नेता साकेत सूर्या, अनिमेष चंदन, रवि प्रताप यादव, आकाश कुमार सहित दर्ज़नो आइसा कार्यकर्ता शामिल थे
 

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