Advertisment

Advertisment
जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक मनाया गया

जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक मनाया गया


*जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक मनाया गया*

आज पटना के कदमकुआं स्थित दिगम्बर जैन मंदिर, मीठापुर, मुरादपुर सहित अन्य दिगम्बर जैन मंदिरों में जैन धर्म के 7वें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक मनाया गया। जैन समाज के एम पी जैन ने बताया कि प्रातः भगवान की प्रतिमा का जलाभिषेक कर शांतिधारा की गई। कांग्रेस मैदान स्थित मंदिर में शांतिधारा जिनेश जैन एवं विकास कैन ने किया। शांतिधारा के बाद भगवान की पूजा की गई। पूजा में दर्जनों की संख्या में महिलाओं एवं पुरषों ने भाग लिया। इसके साथ ही साथ सभी के स्वास्थ्य और सम्पन्नता की कामना की गई। 

मुरादपुर मंदिर में सुबोध जैन फंटी तथा अन्य ने किया अभिषेक एवं पूजा किया। 

     एम पी जैन ने बताया कि 

   *भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जी* जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर थे। भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जी का जन्म वाराणसी के इक्ष्वाकुवंश में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को विशाखा नक्षत्र में हुआ था। इनके माता का नाम पृथ्वी देवी और पिता का नाम राजा प्रतिष्ठ था। इनके शरीर का वर्ण सुवर्ण था और इनका चिह्न स्वस्तिक था।

     इनके यक्ष का नाम मातंग और यक्षिणी का नाम शांता देवी था। जैन धर्मावलम्बियों के मतानुसार भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जी के कुल गणधरों की संख्या 95 थी, जिनमें विदर्भ स्वामी इनके प्रथम गणधर थे। ज्येष्ठ मास की त्रयोदशी तिथि को वाराणसी में ही इन्होंने दीक्षा प्राप्ति की और दीक्षा प्राप्ति के 2 दिन बाद इन्होंने खीर से प्रथम पारण किया। दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् 9 महीने तक कठोर तप करने के बाद फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी को धर्म नगरी वाराणसी में ही शिरीष वृक्ष के नीचे इन्हें कैवल्यज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

       भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जी ने हमेशा सत्य का समर्थन किया और अपने अनुयायियों को अनर्थ हिंसा से बचने और न्याय के मूल्य को समझने का सन्देश दिया। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन भगवान श्री सुपार्श्वनाथ ने सम्मेद शिखर पर निर्वाण को प्राप्त किया थ

 

0 Response to "जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक मनाया गया"

एक टिप्पणी भेजें

Ads on article

Advertise in articles 1

advertising articles 2

Advertise under the article