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इस साल भी मॉर्निंग कोर्ट का दंश झेलेंगे निचली अदालत के वकील और मुवक्किल

इस साल भी मॉर्निंग कोर्ट का दंश झेलेंगे निचली अदालत के वकील और मुवक्किल


 इस साल भी मॉर्निंग कोर्ट का दंश झेलेंगे निचली अदालत के वकील और मुवक्किल

शौर्य भारत/पटना सिटी (बृजेश गोस्वामी) : बिहार राज्य की सभी निचली व्यवहार न्यायालयों में अंग्रेजों के समय से चली आ रही मॉर्निंग कोर्ट की प्रचलन को जनहित में समाप्त कर डे कोर्ट करने की माँग को लेकर कानूनी सहायता केन्द्र के पिछले 5 वर्षों से चल रहे आंदोलन को नजरअन्दाज कर 3 अप्रैल से मॉर्निंग कोर्ट होना तय हो गया है। जिससे वकीलों में खासा आक्रोश व्याप्त हो गया। वकीलों को इस साल उम्मीद थी कि माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान में चल रहे इस ज्वलन्त मुद्दे को ध्यान में रखकर कुछ नया आदेश आएगा। कानूनी केंद्र के अध्यक्ष विक्रमादित्य गुप्त "अधिवक्ता" ने महामहीम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,  कानून मंत्री, मुख्यमंत्री , पटना उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशगण को पत्र लिखकर कहा है कि मॉर्निंग कोर्ट से मोवक्किलों एवं अधिवक्ताओं को कोर्ट पहुंचने के लिये अर्धनिंद्रा में रात्रि में ही जबरन उठने को मजबूर होना पड़ता है जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है साथ ही मॉर्निंग कोर्ट की कार्यावधि दोपहर में समाप्त होने से लहलहाती धूप में घर लौटना पड़ता है जिससे लू लगने से वकील आक्रांत होते रहते है। अधिवक्ता बृजेश गोस्वामी, रमाकांत वर्मा, अजय यादव, डॉ राकेश कुमार नोटरी पब्लिक, मुन्ना यादव अभिषेक कुमार, रामसुभाष रजक, अरविंद कुमार आदि ने जनहित में मॉर्निंग कोर्ट की इस कुप्रथा को समाप्त कर डे कोर्ट करने की मांग की है। 

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