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भीम संवाद के नाम पर दलितों के साथ छलावा :हम

भीम संवाद के नाम पर दलितों के साथ छलावा :हम


भीम संवाद के नाम पर दलितों के साथ छलावा :हम

 आजादी के लगभग 75 साल बीत जाने के बाद बात भी दलित राजनीतिक और सामाजिक रूप से पिछड़ेपन का शिकार है।

 बिहार सरकार ने जाति जनगणना और आर्थिक जनगणना किया है जिसमें स्पष्ट रूप से उजागर है कि आज भी दलित दोयम दर्जे के रूप में सभी प्रतिष्ठानों में स्थापित है दलित के शीर्ष नेतृत्व को भी सड़क और सदन में बेइज्जत होना पड़ रहा है राजनीतिक रूप से हाशिए पर आए हुए हैं।

 गरीबी और वह मुफसली में जीवन जी रहे हैं ।

बिहार सरकार दलित संवाद ,भीम संवाद के नाम पर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है , लाखों लाख खर्च कर रहे हैं सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है शिक्षा सेवक ताल्मी मरकज और विकास मित्र को वरीय पदाधिकारी के द्वारा जबरदस्ती लोगों को पकड़ पकड़ कर बस में भर कर पटना ले जाया जा रहा है और नहीं मानने वाले लोगों को हड़काया जा रहा है ,जो बिल्कुल गलत है।

को सरकार इस तरह के हथकंडा से बचना चाहिए। 

अनुसूचित जनजाति और जाति के लोगों को आरक्षण 16% दिया गया है लेकिन लगभग 50 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी मात्र अनुसूचित जाति जनजाति पदों को तीन प्रतिशत ही भरा जा सका है ।

इस पर सरकार को संकल्प लेने की आवश्यकता है लेकिन इस पर नीतीश कुमार से सवाल करने पर बौखला जाते हैं आरक्षण का दायरा बढ़ा ,स्वागत करते हैं लेकिन वास्तविक धरातल पर भी आरक्षण मिल रहा है कि नहीं उसकी समीक्षा किया जाना चाहिए ।


आज नीतीश कुमार को दलितों के नेता नही ,राजनीतिक बंधुआ मजदूर की तलाश है और इसी तलाश के कड़ी में भीम संवाद के माध्यम से दलितों को लुभाने में और बरगालाने में लगे हुए हैं ।

बिहार की जनता इन सब चीजों को अच्छी तरह से समझती है ,आगे आने वाला चुनाव में दलित परिवार जिस तरह से रामविलास पासवान अपमानित किया गया ,जितन राम मांझी को भरी सदन में तू ताड़क करके जलील किया गया वह गरीब दलित परिवार कभी भूल नहीं सकता ।

 आज दलितों में काफी आक्रोश है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दलित विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। उक्त आरोप हम पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ई. नन्दलाल मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगाया।

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